।। ॐ सूर्याय नमः ।।
हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्यदेव हिंदू धर्म के साक्षात दिखाई देने वाले देवता हैं। मान्यता के अनुसार सूर्यदेव की विधि विधान से पूजन करने पर सफलता प्राप्त होती है। सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय मंत्रों का जाप करना चाहिए ऐसा करने से सूर्यदेव अत्यधिक प्रसन्न होते हैं।
सूर्यदेव के मंत्र (Suryadev ke Mantra)
पुत्र की प्राप्ति के लिए सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए:
पुत्र की प्राप्ति के लिए सूर्य देव के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए:
ऊँ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे।
धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।।
धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।।
हृदय रोग, नेत्र व पीलिया रोग एवं कुष्ठ रोग तथा समस्त असाध्य रोगों को नष्ट करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।
ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः।।
व्यवसाय में वृद्धि करने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।
ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम।।
अपने शत्रुओं के नाश के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमः
शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमः
पनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ हृां हृीं स: सूर्याय नम:
ऊँ हृां हृीं स: सूर्याय नम:
सभी अनिष्ट ग्रहों की दशा के निवारण हेतु सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ऊँ हृीं श्रीं आं ग्रहधिराजाय आदित्याय नमः
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को चन्दन समर्पण करना चाहिए-
दिव्यं गन्धाढ़्य सुमनोहरम् |
वबिलेपनं रश्मि दाता चन्दनं प्रति गृह यन्ताम् ||
वबिलेपनं रश्मि दाता चन्दनं प्रति गृह यन्ताम् ||
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को वस्त्रादि अर्पण करना चाहिए-
शीत वातोष्ण संत्राणं लज्जाया रक्षणं परम् |
देहा लंकारणं वस्त्र मतः शांति प्रयच्छ में ||
देहा लंकारणं वस्त्र मतः शांति प्रयच्छ में ||
भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण करते हुए उन्हें यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए-
नवभि स्तन्तु मिर्यक्तं त्रिगुनं देवता मयम् |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणां परमेश्वरः ||
उपवीतं मया दत्तं गृहाणां परमेश्वरः ||
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को घृत स्नान कराना चाहिए-
नवनीत समुत पन्नं सर्व संतोष कारकम् |
घृत तुभ्यं प्रदा स्यामि स्नानार्थ प्रति गृह यन्ताम् ||
घृत तुभ्यं प्रदा स्यामि स्नानार्थ प्रति गृह यन्ताम् ||
भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-
ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं |
अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ||
अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ||
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रचंड ज्योति के मालिक भगवान दिवाकर को गंगाजल समर्पण करना चाहिए-
ॐ सर्व तीर्थं समूद भूतं पाद्य गन्धदि भिर्युतम् |
प्रचंण्ड ज्योति गृहाणेदं दिवाकर भक्त वत्सलां ||
प्रचंण्ड ज्योति गृहाणेदं दिवाकर भक्त वत्सलां ||
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान सूर्यदेव को आसन समर्पण करना चाहिए-
विचित्र रत्न खन्चित दिव्या स्तरण सन्युक्तम् |
स्वर्ण सिंहासन चारू गृहीश्व रवि पूजिता ||
स्वर्ण सिंहासन चारू गृहीश्व रवि पूजिता ||
सूर्य पूजा के दौरान भगवान सूर्यदेव का आवाहन इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए-
ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरूषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र पाक्ष |
स भूमि ग्वं सब्येत स्तपुत्वा अयतिष्ठ दर्शां गुलम् ||
स भूमि ग्वं सब्येत स्तपुत्वा अयतिष्ठ दर्शां गुलम् ||
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्यदेव को दुग्ध से स्नान कराना चाहिए-
काम धेनु समूद भूतं सर्वेषां जीवन परम् |
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थ समर्पितम् ||
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थ समर्पितम् ||
भगवान सूर्यदेव की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें दीप दर्शन कराना चाहिए-
साज्यं च वर्ति सं बह्निणां योजितं मया |
दीप गृहाण देवेश त्रैलोक्य तिमिरा पहम् ||
भगवान सूर्यदेव को सुबह-सुबह नमस्कार करने से पूरा दिन शुभ होता है सूर्यदेव को नमस्कार करते हुए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए-
ॐ सूर्याय नम:।
ॐ भास्कराय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ मित्राय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ खगय नमः।
ॐ पुषणे नमः।
ॐ मारिचाये नमः।
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सावित्रे नमः।
ॐ अार्काय नमः।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
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