।। ॐ नमो भगवते् वासुदेवाय् ।।
हिंदू मान्यता के अनुसार षट्तिला एकादशी का व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण होता इस व्रत को करने से बैकुंठ में स्वर्ग प्राप्त होता है। शास्त्रों में पुराणों के अनुसार वर्ष में 24 एकादशी होती हैं 24 एकादशियों में से जो माघ के महीने में कृष्ण पक्ष में आती है उसे षट्तिला एकादशी कहते हैं। मान्यता के अनुसार माघ का महीना अत्यधिक पुण्यदायी होता है। इस बार षट्तिला एकादशी 12 जनवरी 2018, शुक्रवार को है। षट्तिला एकादशी के व्रत में तिल से बनी वस्तुओं का प्रयोग अत्यधिक प्रकार से करने पर व एकादशी का नियमानुसार व्रत करने से विष्णु भगवान अत्यधिक प्रसन्न होते हैं और शुभ फल देते हैं।
षट्तिला एकादशी व्रत करने की विधि (Shattatila Ekadashi vrat karnr ki Vidhi)
मान्यता के अनुसार माघ महीना अत्यधिक पवित्र और पावन माना जाता है। एकादशी का व्रत हर व्यक्ति को विधि विधान पूर्वक करना चाहिए। इस दिन व्रत करने वाले वर्ति को सुबह-सुबह स्नान करके विष्णु भगवान की प्रतिमा के सामने धूप दीप वह पुष्प अर्पण करना चाहिए और इसके साथ उड़द की दाल और तिल से मिश्रित खिचड़ी का भोग विष्णु भगवान को लगाना चाहिए इसके साथ विष्णु भगवान विष्णु भगवान का मंत्र 'ओम नमो भगवते् वासुदेवाय्' का जाप 108 बार करना चाहिए। षट्तिला एकादशी के व्रत में तिल से बनी वस्तुओं का अत्यधिक प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार विष्णु भगवान की विधि विधान से पूजन अर्चना करने से षट्तिला एकादशी का व्रत संपन्न होता है।
षट्तिला एकादशी की व्रत कथा (Shattatila Ekadashi ki vrat katha)
पद्म पुराण में भगवान विष्णु ने नारद मुनि से बताया है कि षट्तिला एकादशी अन्न धन और सुख देने वाली है। इस एकादशी के संदर्भ में पुराणो के अनुसार जो कथा मिलती है उसके अनुसार एक स्त्री भगवान विष्णु में बड़ी भक्त थी और सभी व्रत रखती थी जिससे उसका शरीर तो शुद्ध हो गया था लेकिन कभी अन्न दान नहीं देने के कारण मृत्यु के बाद वह बैकुंठ में तो पहुंच गई लेकिन उसे खाली कुटिया मिली।
स्त्री ने भगवान से पूछा कि प्रभु बैकुंठ में आकर भी मुझे
खाली कुटिया क्यों मिली है तब भगवान विष्णु ने बताया कि तुमने कभी कुछ दान नहीं किया और जब मैं तुम्हारे उद्धार के लिए दान मांगने तुम्हारे पास आया तो तुमने मुझे मिट्टी का एक ढेला पकड़ा दिया जिससे तुम्हे यह फल मिला है। अब इस समस्या का एक मात्र उपाय है कि तुम विधि पूर्वक षट्तिला एकादशी का व्रत करो। इस व्रत से महिला की कुटिया अन्न धन से भर गई।
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