Tuesday, 9 January 2018

हनुमान जी की व्रत कथा (Hanuman ji ki vrat katha)

Hanuman ji
।। जय श्री राम ।।
हिंदू मान्यता के अनुसार हनुमानजी हिंदू धर्म के देवता है।मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि हनुमान जी के व्रत मंगलवार और शनिवार को किए जाते हैं। हनुमान जी के व्रत करने से मांगलिक दोष दूर होता है और मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि हनुमान जी के व्रत करने से शनि की साढ़ेसाती के कष्टों को दूर किया जा सकता है। कहा जाता है कि हनुमान जी की विधि विधान से पूजा करने पर हनुमान जी अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। हनुमान जी के व्रत कथा पढ़ने के बाद हनुमान जी की चालीसा और सुंदरकांड का पाठ भी अवश्य करना चाहिए। हनुमान जी के व्रत करने से मंगल ग्रह दोष दूर होता है।

हनुमान जी के व्रत करने की विधि (Hanuman ji ke vrat karne ki vidhi)
यह व्रत कम से कम लगातार 21 मंगलवार तक किया जाना चाहिए। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लें। उसके बाद घर के ईशान कोण में किसी एकांत में बैठकर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इस दिन लाल कपड़े पहनें और हाथ में पानी ले कर व्रत का संकल्प करें। हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान पर फूल माला या फूल चढ़ाएं।
फिर रुई में चमेली के तेल लेकर बजरंगबली के सामने रख दें या मूर्ति पर तेल के हलके छीटे दे दें। इसके बाद मंगलवार व्रत कथा पढ़ें। साथ ही हनुमान चालीसा और सुुंदरकांड का पाठ करें। फिर आरती करके सभी को व्रत का प्रसाद बांटकर, खुद भी लें। दिन में सिर्फ एक पहर का भोजन लें। अपने आचार-विचार शुद्ध रखें। शाम को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर आरती करें।
हनुमान जी की व्रत कथा (Hanuman ji ki vrat katha)
प्राचीन समय की बात है किसी नगर में एक ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे उनके कोई संतान न होन कारण वह बेहद दुखी थे। हर मंगलवार ब्राह्मण वन में हनुमान जी की पूजा के करने जाता था। वह पूजा करके बजरंगबली से एक पुत्र की कामना करता था। उसकी पत्नी भी पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करती थी। वह मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करती थी।
एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ने भोजन नहीं बना पाया और न ही हनुमान जी को भोग लगा सकी। तब उसने प्रण किया कि वह अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी। वह भूखी प्यासी छह दिन तक पड़ी रही।मंगलवार के दिन वह बेहोश हो गई। हनुमान जी उसकी श्रद्धा और भक्ति देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप ब्राह्मणी को एक पुत्र दिया और कहा कि यह तुम्हारी बहुत सेवा करेगा।
बालक को पाकर ब्राह्मणी बहुत खुश हुई। उसने बालक का नाम मंगल रखा। कुछ समय उपरांत जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है? पत्नी बोली कि मंगलवार व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उसे यह बालक दिया है। यह सुनकर ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ। एक दिन मौका पाकर ब्राह्मण ने बालक को कुएं में गिरा दिया।
घर पर लौटने पर ब्राह्मणी ने पूछा कि मंगल कहां है? तभी पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया। उसे वापस देखकर ब्राह्मण चौंक गया। उसी रात को बजरंगबली ने ब्राह्मण को सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह पुत्र उन्होंने ही उसे दिया है। सच जानकर ब्राह्मण बहुत खुश हुआ। जिसके बाद से ब्राह्मण दंपत्ति नियमित रूप से मंगलवार व्रत रखने लगे। मंगलवार का व्रत रखने वाले मनुष्य पर हनुमान जी की अपार कृपा होती है।
हनुमान जी के व्रत का उद्यापन (Hanuman ji ke vrat ka udyapann)
इच्छा अनुसार मंगलवार के व्रत होने के बाद उससे अगले  मंगलवार को विधि-विधान से हनुमान जी का पूजन करके उन्हें चोला चढ़ाएं। फिर अपनी  क्षमता अनुसार ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और क्षमतानुसार दान–दक्षिणा दें।

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