।। ॐ क्रीं कालिकाये नमः ।।
मां कालका का स्वरूप कही ज्यादा मनोरम और भक्तों के लिए आनंददायी है। आमतौर पर मां काली की पूजा सन्यासी तथा तांत्रिक किया करते हैं। माना जाता है कि मां काली काल का अतिक्रमण कर मोक्ष देती है।
आद्यशक्ति होने के नाते वह अपने भक्त की हर इच्छा पूर्ण करती है। तांत्रिक तथा ज्योतिषियों के अनुसार मां काली के कुछ मंत्र ऐसे हैं जिन्हें एक आम व्यक्ति अपने रोजमर्रा के जीवन में अपने संकट दूर करने के लिए प्रयोग कर सकता है। इन्हीं में एक नवार्ण मंत्र है।
दुर्गासप्तशती के अनुसार नौ अक्षरों से बना यह मंत्र मां के नौ स्वरूपों को समर्पित हैं तथा इसके प्रत्येक अक्षर एक ग्रह को नियंत्रित करता है। इस तरह नौ अक्षरों से मिलकर बना नवार्ण मंत्र कुंडली के सभी नौ ग्रहों को साधकर व्यक्ति के जीवन से सभी संकटों को दूर करता है। मंत्र इस प्रकार है:
ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:
कैसे करें इस मंत्र का प्रयोग
यूं तो इस मंत्र का नवरात्रों में विशेष प्रयोग किया जाता है। तांत्रिक इसके सवा लाख, पांच लाख अथवा नौ लाख जाप करके सिद्धियां प्राप्त करते हैं। परन्तु एक आम व्यक्ति भी इस मंत्र से उतना ही लाभ उठा सकता है। इसके लिए आप अपने घर में मां भगवती काली की तस्वीर या प्रतिमा लाएं।
सुबह जल्दी नहा-धोकर स्वच्छ वस्त्र पहन कर उस प्रतिमा या तस्वीर के आगे दीपक जलाएं। तिलक लगाएं तथा लाल रंग के पुष्प यथा गुलाब, गुड़हल आदि समर्पित करें। इसके बाद उसी जगह एक आसन पर बैठकर इस मंत्र का 108 बार जप करें। जप के बाद यथायोग्य भोग मां काली को अर्पण
करें। यदि आपकी अधिक सामथ्र्य नहीं है तो आप मिश्री के दो दाने भी भोग में अर्पण कर सकते हैं और चाहे तो लाल सेव या अनार का भोग भी मां को लगा सकते हैं।
भोग लगाने के बाद मन ही मन अपनी इच्छा मां को कहें। अपनी इच्छा पूरी होने तक इस प्रयोग को जारी रखें। यदि आपकी इच्छा सात्विक होगी या उससे किसी का अनिष्ट नहीं हो रहा है तो मां कुछ ही दिनों में आपकी मनोकामना पूरी करेगी। यदि आप चाहे तो अपनी इच्छा पूरी होने के बाद भी इस प्रयोग को आजीवन कर सकते हैं।
No comments:
Post a Comment