Monday 8 January 2018

महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)

Shiv Shankar
।। ॐ नमः शिवाय ।।
हिंदू मान्यता के अनुसार शास्त्रों और पुराणों में रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र शिव जी का सबसे बड़ा मंत्र है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को खुश करने का मंत्र है। इसके प्रभाव से इंसान मौत के मुंह में जाते-जाते बच जाता है, मरने वाले रोगी भी महाकाल शिव की अद्भुत कृपा से जीवन पा लेता है। बीमारी, दुर्घटना, अनिष्ट ग्रहों के प्रभावों से दूर करने, मौत को टालने और आयु बढ़ाने के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र जप करने का विधान है। महामृत्युंजय मंत्र सर्वप्रथम ऋषि मार्कंडेय के द्वारा उपयोग में लाया गया था। महामृत्युंजय मंत्र शनि ग्रह की साढ़ेसाती के प्रभाव से बचाता है तथा महामृत्युंजय मंत्र के जाप से कालसर्प दोष व पितृदोष का निवारण किया जाता है।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय ये बातें रखें ध्यान जो आपके लिए बहुत ही जरुरी है-

- महामृत्युंजय मंत्र का जाप अर्थात उच्चारण ठीक ढंग से करना चाहिए।

- इस मंत्र का जाप करने के लिए कोई संख्या निश्चित निर्धारित करनी चाहिए और हो सके तो प्रतिदिन उस की संख्या बढ़ा दें परंतु एक बात का ध्यान रखें मंत्र जाप करने की संख्या घटाएं नहीं।

- मंत्र जाप करने का उच्चारण आंतरिक भाव से होना चाहिए।

- महामृत्युंजय मंत्र का जाप शिव जी की प्रतिमा के सामने करना चाहिए। 

- महामृत्युंजय मंत्र के जाप करते समय व्यक्ति को शाकाहारी भोजन करना चाहिए।

- महामृत्युंजय मंत्र को पढ़ते समय व्यक्ति को शिवजी की प्रतिमा के सामने धूप दीप जलाना चाहिए।

- महामृत्युंजय मंत्र के जाप करते हुए जल अभिषेक करते रहना चाहिए।

- महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष माला से करना चाहिए इससे शिवजी अत्यधिक प्रसन्न होते हैं।

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