Saturday 30 December 2017

शनिदेव की आरती (shanidev ki aarti)

Shanidev
।। ॐ शं शनैश्चराय नमः ।।
हिंदू मान्यता के अनुसार शनिदेव को दंडाधिकारी कहा जाता है।मान्यता के अनुसार शनिदेव अच्छे बुरे कर्मों का फल देते हैं।शनिदेव के पिता सूर्यदेव और माता छाया है। शनिदेव की पूूजा को होती है शनिदेव के पूजन में तिल व सरसों का तेल शनिदेव पर चढा़ते हैं।शनिदेव की पूूजा मेें शनिदेव की चालीसा तथाा आरती को जरूर पढ़नाा चाहिए ऐसा करने से शनिदेव अत्यधिक प्रसन्न होते हैं।

शनिदेव की आरती (shanidev ki aarti)

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।
निलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
क्रीट मुकुट शीश सहज दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माल गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
मोदक और मिष्ठान चढ़े, चढ़ती पान सुपारी।
लोहा, तिल, तेल, उड़द महिषी है अति प्यारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान हम हैं शरण तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥

इन्हें भी click करके पढ़े हैं:-

No comments:

Post a Comment